Tuesday, May 17, 2011

यूपी की लडाई..........

उत्तर प्रदेश में चुनाव अभी 2012 में होने है लेकिन राजनेताओं की तैयारियां जारी है। ताजा उदाहरण है जमीन के नाम पर होने वाली राजनीति। भट्टा पारसौल गांव में जो कुछ भी हुआ उसमें मारे गए आम लोग और आम लोग ही अब राजनीति में पीस भी रहे है। पुलिस और गांव वालो के बीच हुई झडप में जो पीएसी के जवान मारे गए वो भी किसी किसान परिवार से ही थे,और जो गांव वाले मारे गए वो भी किसान।।  यूपी की इस लडाई....में जमकर राजनीति उस समय शुरु हुई जब कांग्रेस के युवराज यानी राहुल गांधी वहां पहुच गए,तो बाकि नेताओ की आपत्ति ये थी कि उनको क्यों नही जाने दिया गया। अब राहुल ने इस लडाई को एक नया मोड दे दिया है...राहुल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद कहा कि गांव में पुलिस ने ज्यादतियां की और रेप के अलावा कई लोगों को पुलिस ने जिंदा जला दिया। अब राहुल की इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन सवाल ये उठता है कि हर एक एसा मशला जहां राहुल गांधी पहुचते है उसे ही सुर्खियां मिलती है। गरीबों की आवाज को बिना किसी सहारे के क्यों नहीं उठाया जाता? सच तो ये है कि चाहे मीडिया हो या नेता किसी को भी गरीबो की याद तब तक नहीं आती जब तक उनका अपना कोई हित ना हो। नेता वोट के लिए गरीबो का खून चूस रहे है तो मीडिया को बिना नेताओं के वहां पहुचें ख़बर ही नहीं दिखती। इन सब के बीच जो पीस रहा है वो है गरीब किसान। सरकार और प्रशासन को इस गुनाह का जबाब देना होगा नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब एक और खूनी क्रांति होगी।।