Monday, June 7, 2010

बेईमानो की दुनिया में बड़ा मुश्किल है इमानदार रहना

पिछले कई दिनों से इमानदारो की तरह जीने को मन करता हैसभी लोग ईमानदारी की जिन्दगी जीने की सलाह देते है मगर कोई इमानदार नही रह पातासच की बुनियाद पर जिन्दगी खड़ा करने के लिए मैंने अपने घर में सच का एक खेल खेला जिसकी सजा मुझे यु मिली की हम अपने ही घर वालो से दूर हो गयेअब जो बच्चे है भी हमें सिखाने की कोशिश करते जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया होलेकिन मैंने सिर्फ अपनी जिन्दगी ईमानदारी से जीने के लिए एक सच बोला थाअगर मैंने झूठ बोला होता तो आज सब खुश होतेतो क्या गुनाह कर दिया मैंने क्या अपने जाति से बाहर और खुद की मर्जी से शादी करना इतना बड़ा गुनाह है की जो हमें इतने अरमानो से पाले , पढाया -लिखाया आज ही मुझे पराया बना दिए हैमाँ तो मान भी जाती है पर क्या पिता इतने कठोर हो सकते है जो अपने बेटे से ४महिनो तक बात ही नही करतेसोचा था इन जज्बातों को अपने सीने में ही दफना दूंगा लेकिन आज मान बड़ा बोझिल हैकई दिनों से ये बाते मुझे सालती रहती हैमुझे पता है किसी को मेरी ये बाते बहुत बुरी लगेगी क्योकि नहीं चाहती की हमारे घर की बाते लोगो तक पहुचे लेकिन मै चाहता हु की मेरी बातें ,मेरे मन के भीतर चल रहे द्वन्द को भी समझे हलाकि मुझे पता ही की सब जानती हैफिर भी मै ये साबित कर दूंगा मै सही हुकोई भी माँ बाप अपने बेटे या बेटी की ख़ुशी में ही खुश होता हैलेकिन दुसरे लोग जो खुद के बेटे बेटी की चिंता कर दुसरो की दुनिया में दखल देने की नाकाम कोशिश करते रहते हैमेरा ये कहानी सुनाने का मकसद सहनुभूति लेना नही है ,और ना ही मुझे सहानुभूति की जरुरत हैमै बस लोगो को ये बताना चाहता हु की आखिर कब तक आप दुसरो के लिए अपने बच्चो से नाराज रहेगे ? मेरा मकसद है उन माँ बाप को ये बताना की आप दुसरो की ख़ुशी के लिए अपने बच्चो की ख़ुशी छीन लेते हैआपके बच्चे आपसे दूर रहकर खुश नही रहते और ना आप ही खुश रह पाते है लेकिन आप क्यों दुनिया की खातिर आपनो से दूर है ?...............

2 comments:

  1. है तो ये आपका निजी मामला ...किसी को कमेन्ट करने का हक़ नहीं है ..पर फिर भी आपकी पोस्ट देख कर लगा ...ये बात आप उन्हें नहीं समझा पायेंगे क्यूंकि वो समझना नहीं चाहते ...रही आपके भीतर के दव्न्द की बात तो सच का सामना करना जादा आसान है , झूठ की दुनिया को हर पल बचाने की कोशिश से ...इस समय कम से कम आपके मन में ये ग्लानि तो नहीं है की आपने किसी के साथ धोखा किया है ....और अगर आपको लगता है की आपके भीतर के इस द्वन्द को वो नहीं जानती तो ये उसकी मोहब्बत के साथ बेवफाई है ...क्योंकि ऐसा कह के आपने उस से उसके आपके साथ बिताये आत्मीयता के क्षण तो छीन ही लिए ..साथ ही उसके विश्वास पे प्रश्न वाचक चिन्ह भी लगा दिया ...और जहाँ तक आपके जाती के बाहर विवाह का सम्बन्ध है ..यह कोई गलत बात नहीं है ..आपके इस कदम पे कुछ लोग प्रोत्साहित भी अवश्य होंगे ...जब हम परिवर्तन की बात करते है तो ये बात समझनी बहुत जरुरी है की परिवर्तन रातो रात तो नहीं होगा ...इसे कुछ समय लगेगा ....और आखिरी बात ,ये साबित करने की ज़रूरत नहीं है की माँ पिता की ख़ुशी बच्चो की ख़ुशी में ही है ..क्यूंकि सत्य को सबूत की जरुरत नहीं होती ....अपने भीतर के द्वन्द को शब्दों की पहचान दीजिये अपने माँ पिता से खुल के बात कीजिये ....और उन्हें अपने मन की बात समझा दीजिये ...आपकी आने वाली खुबसूरत जिन्दगी के लिए शुभकामनाये...

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  2. kamlesh ye 100% sach h jo tune likha h..log apne bare me na soch kr duniya ki sochte h...or dikhawa krte h jat pat ko le ker..

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