Wednesday, December 29, 2010

आओ हम भी आंदोलन करें.......

देश में आए दिन कोई ना कोई आंदोलन होते ही रहते है...कभी आरक्षण के लिए,कभी किसी की रिहाई के लिए,कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ,तो कभी वोट के लिए विपक्षी दल..सत्तानशी सरकार के खिलाफ...इन आंदोलनों को देखकर मेरा भी मन हो रहा है कि कोई आंदोलन करु...एसे किसी आंदोलन की बुनियाद उठाए जिनमें मेरा कुछ स्वार्थ पूरा हो जाए....लेकिन आए दिन हो रहे इन तथाकथित आंदोलनो के पीछे की स्टोरी देखकर बहुत दुख होता है....बेशक आज हमारे देश में एक एसे आंदोलन की दरकार है...जो दिन ब दिन बढती मंहगाई और भ्रष्टाचारियों पर कुछ लगाम लगा सके,लेकिन एसा आंदोलन करे कौन ॥किसके पास इतनी फूरसत है...कि ऐसा इन तमाम लफडो में पड़े...जो अमीर है उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहें कितनी भी मंहगाई बढ़ जाए और गरीब बिचारों के पास अपने और अपने परिवार का एक दिन का पेट भरने के लिए पूरा दिन निकल जाता है...कहां से आंदोलन करे...हां वैसे बेरोजगार जिन्हे किसी प्रदर्शन में जाने के 100रुपए मिल जाए...वो जरुर जाते है ,नारे लगाने..बेशक उसे ये पता होता है कि इन नारों से उसे सिर्फ एक दिन की मोहलत मिलनी वाली...उसके नाम पर कुछ लोग अखबारों में अपना फोटो लगाकर और टीवी पर दिखकर अपनी राजनीति रोटियां सेक लेगें और अपने राजनीतिक प्रोफाइल में एक और उपलब्धि जोड़ लेगें... लेकिन उसे तो कल फिर पेट की लडाई लडनी है..जिसके लिए वो फिर किसी प्रदर्शन में शामिल होगा...आजादी के पहले से हमारा देश गरीबी से लड रहे है...लेकिन आजतक गरीबी मंहगाई डायन बन कर गरीब की कमाई खाय जा रही है...तभी मेरे मन में ये खयाल आया कि हम भी एक आंदोलन करें.......

Wednesday, November 3, 2010

ओबामा देखेगें....दीपावली....या...

ये दिवाली दिलों का मेल कराती है....यहीं संदेश देने की कोशिश की जा रही है...ओबामा की भारत यात्रा के जरिए...लेकिन इस बीच एक विवाद की शुरुआत कर दी है...लखनऊ के शिया नेता सैयद कल्वे ने...कल्वे को ओबामा के मुसलमान मानने से भी एतराज है...लखनऊ में कल्वे ने ये एलान कर दिया की वो ओबामा की भारत यात्रा का विरोध करेगें...लेकिन सवाल ये है कि इस विरोध का मतलब क्या है...अगर वो ओबामा को मुसलमानों का दुश्मन मानते है औऱ ओबामा को आतंकवाद का जिम्मेदार मानते है तो क्या सभी भारतीय मुसलमान उनके इस बयान से सहमत है? अगर नही तो क्या कल्वे के इस बयान को महज पब्लिसीटि स्टंट मान लेना सही है? जबाब कई है लेकिन ओबमा की यात्रा को लेकर जिस तरह की तैयारियां की जा रही हैं और मीडिया जिस तरह से इसे महाखबर बनाने में लगा है...वो अपने आप में एक सवाल पैदा कर दिया है...दीवाली के मौके पर कितने गरीब घरों में दीप नहीं जल पाएगें॥कितनें घरों में पकौड़े तलने के लिए तेल उधार लिए जाएगें...किसी को इसकी चिंता है...क्या इंडिया साइनिंग का नारा लगाने वालों को इसका जरा भी ख्याल है....जरा सोचिए उन परिवारों के बारे में और दिवाली पर करोड़ो रुपए के पटाखे धुंआ में उड़ाने और पॉलुसन फैलाने के बजाय किसी एक परिवार के घर को रौशन करे...मेरे ख्याल से ये दिवाली दिल को ज्यादा सुकून देगी...इस कानफोडू पटाखों से......

Monday, September 6, 2010

बिहार चुनाव का ऐलान.............

लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार बिहार विधानसभा चुनाव की तारिखों की घोषणा कर दी गई...नीतीश कुमार,लालू प्रसाद यादव औऱ रामविलास पासवान इनमें से एक भी नेता एसा नही जिसका दामन एकदम साफ हो...लालू की तुलना भ्रष्टाचार से करना ही, भ्रष्टाचार की तौहीन है...पासवान की राजनीतिक जमीन तो पहले से ही खिसक चुकी है...अब लालू के कंधे पर बैठकर बिहार की बैतरिणी पार करना चाहते है...और रही बात विकास पुरुष का दावा करने वाले नीतीश को तो...जाते-जाते वो भी अपने दामन में दाग लगावा बैठे...लेकिन बात दाग की नही है...बात तो अब शुरु होगी अब..जब जनता को वोट के नाम पर बांटा जाएगा...जनता को बाटने जाएगा जाति के नाम पर...पैसे से वोट खरीदे जाएगे औऱ बूथ लूटे जाएगें....लेकिन जनता करे तो क्या करें...एक ओर नक्सली और एक ओर सफेद कुर्ताधारी गुंडे जो कन्वर्ट होकर नेता बन गए है...बात अगर बिहार के पुराने नेताओं की करें तो कुछ गिने-चुनें ही साफ सुथरी छवि के दिख जांएगें ॥लेकिन उनकी तो बिहार में चलती नही...जब लालू जैसे नेता जो बिहार को रेलवे की ही तरह विकास की पटरी पर दौडानें की बात कर रहे है लेकिन वोट के लिए सहाबुद्दीन जैसे गुंडों से मिलने पहुंच जाते हैं...ऐसे लालू पर जनता भरोसा करे तो कैसे...पासवान को सिर्फ दिल्ली दिखती है और नीतीश भी अब दूध के धुले नही रहे...जनता सब जानती है॥बाढ से लेकर सुखे ने जनता को पहले ही तबाह कर रखा है...विकल्प में सारे चोर है ॥चुने तो चुने किसे...लेकिन इस बार तो शख्त कदम उठाने ही पडेगें अब कोई उपाय नहीं...इस बार अगर चुक गए तो एक बार फिर बिहार लूट जाएगा॥चोरों को पहचानों और ऐसे चोरों को चुनों जो इन सबमें इमानदार हो........

Monday, June 7, 2010

बेईमानो की दुनिया में बड़ा मुश्किल है इमानदार रहना

पिछले कई दिनों से इमानदारो की तरह जीने को मन करता हैसभी लोग ईमानदारी की जिन्दगी जीने की सलाह देते है मगर कोई इमानदार नही रह पातासच की बुनियाद पर जिन्दगी खड़ा करने के लिए मैंने अपने घर में सच का एक खेल खेला जिसकी सजा मुझे यु मिली की हम अपने ही घर वालो से दूर हो गयेअब जो बच्चे है भी हमें सिखाने की कोशिश करते जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया होलेकिन मैंने सिर्फ अपनी जिन्दगी ईमानदारी से जीने के लिए एक सच बोला थाअगर मैंने झूठ बोला होता तो आज सब खुश होतेतो क्या गुनाह कर दिया मैंने क्या अपने जाति से बाहर और खुद की मर्जी से शादी करना इतना बड़ा गुनाह है की जो हमें इतने अरमानो से पाले , पढाया -लिखाया आज ही मुझे पराया बना दिए हैमाँ तो मान भी जाती है पर क्या पिता इतने कठोर हो सकते है जो अपने बेटे से ४महिनो तक बात ही नही करतेसोचा था इन जज्बातों को अपने सीने में ही दफना दूंगा लेकिन आज मान बड़ा बोझिल हैकई दिनों से ये बाते मुझे सालती रहती हैमुझे पता है किसी को मेरी ये बाते बहुत बुरी लगेगी क्योकि नहीं चाहती की हमारे घर की बाते लोगो तक पहुचे लेकिन मै चाहता हु की मेरी बातें ,मेरे मन के भीतर चल रहे द्वन्द को भी समझे हलाकि मुझे पता ही की सब जानती हैफिर भी मै ये साबित कर दूंगा मै सही हुकोई भी माँ बाप अपने बेटे या बेटी की ख़ुशी में ही खुश होता हैलेकिन दुसरे लोग जो खुद के बेटे बेटी की चिंता कर दुसरो की दुनिया में दखल देने की नाकाम कोशिश करते रहते हैमेरा ये कहानी सुनाने का मकसद सहनुभूति लेना नही है ,और ना ही मुझे सहानुभूति की जरुरत हैमै बस लोगो को ये बताना चाहता हु की आखिर कब तक आप दुसरो के लिए अपने बच्चो से नाराज रहेगे ? मेरा मकसद है उन माँ बाप को ये बताना की आप दुसरो की ख़ुशी के लिए अपने बच्चो की ख़ुशी छीन लेते हैआपके बच्चे आपसे दूर रहकर खुश नही रहते और ना आप ही खुश रह पाते है लेकिन आप क्यों दुनिया की खातिर आपनो से दूर है ?...............

Saturday, March 13, 2010

महिला आरक्षण या महिला का अपमान

महिला आरक्षण के मुद्दे पे यादवो ने जो एकता दिखने की कोशिश की है या दिखा रहे है अगर यही एकता यादवो के बिकास के लिए दिखाते तो सायद यादवो का कुछ भला हो हो जाता। लालू ,मुलायम और शरद को शायद ये नही पता की यादव अब उनकी बातों में नही आने वाले है। यादवो के नाम पर अब तक राजनितिक रोटिया सेकने वाले ये नेता अभी भी अनपढ़ यादवो को बेवकूफ बना रहे है । सिर्फ अपने परिवार की चिंता करने वाले ये यादव नेता बाकि कितने यादवो को राजनीति में आगे लाये है ? इन्हें तो सिर्फ अपने परिवार की चिंता है और अब जब इन्हें अपनी लुटिया डूबती नजर आ रही है तो ये महिलाओ के नाम पर राजनितिक रोटिया सेकना चाहते है । लेकिन मेरे प्यारे यादव भाइयो अब जनता होसियार हो गई है । जातिवाद और धर्म की राजनीति से ऊपर आ जाओ और देश में गरीबो के लिए कुछ आवाज उठा लो । महिला बिल पे हल्ला मचाने वाले लालू भैया उस समय कहा था आपका विरोध जब राबरी जी को मुख्यमंत्री बना दिए थे । कोटे के अन्दर कोटे को लाकर अभी और कितने बटवारे करने का मूड है आपका । और नेताजी आपको तो खुश होना चाहिए आपकी बहु डिम्पल आरक्षण मिलते ही सांसद बन जाएगी कम से कम उन्हें हराने वाला कोई पुरुष नेता तो नही होगा । क्या कर रहे हो यादव भाइयो महिला का अपमान या इज्जत ?