Wednesday, July 15, 2009

किसानो की हालत और कृषि

बजट आने के बाद उस पर चर्चा के दौरान लोकसभा में कृषि को ४ प्रतिशत की विकास दर लेन का दावा किया जा रहा है । लालू जी ने इस मुद्दे को बड़ी गंभीरता से प्रणब जी को समझाया । किंतु सभी उपरी और सुनी सुनाई बातो पर चर्चा करते रहे कोई भी मामले की तह तक नही पहुच पाया । इससे पता चलता है की आज हमारे नेता कितना जुड़े है आम लोगो से ।
गाव की वास्तविकता को और समझ के लिए इन नेताओ को गावों में जाने की जरुरत है । सरकार तरह तरह की योजनाये तो बना देती है किंतु इन योजनाओ का क्या हाल है उसे देखने वाला कोई नही है । जिनके भरोसे ये योजनाये चल रही है वो सिर्फ़ अपना फायदा कमाना चाहते है, और जो समितिया बने उन्होंने ने भी लीपापोती करके रिपोर्ट जमा कर दिया ।
भारत में आज भी खेती का कम अशिक्षित लोग ही करते है ,पढ़े-लिखे लोग अगर खेती करे तो गाव में उसे तौहीन माना जाता है लोग उसे पढ़ा लिखा बेवकूफ मानते है जिसका कारण है कि अधिकतर किसानो को यह पता ही नही होता कि किस समय किस तरह कि फसल और कौन सी खाद डालनी चाहिए ।
गावों में संचार के साधनों उपयोग कम ही होता है । रेडियो को छोड़कर अख़बार और टीवी कम ही लोग देखते है ।