Saturday, May 16, 2009

नही चला हिंदुत्वाद ,अब भी वक्त है सम्हाल जाओ...

लोकसभा के नतीजो ने सबको तो हैरत में डाला ही,सबसे ज्यादा हैरत में डाला बीजेपी को । बीजेपी को आम जनता ने एक सबक जरुर सिखा दिया की अब हिन्दुत्व का मुद्दा पुराना हो गया है । अब शायद कुछ सबक ले अब बीजेपी। सबसे ज्यादा चौकाया यूपी ने ,बसपा और सपा को जनता ने चेताया ही नही सज़ा भी दिया । अब मायावती को शायद कुछ सदबुधि मिलेऔर वह समझ जाए की जाति की राजनीति बहुत हो चुकी अब जनता समझदार हो चुकी है ।अब जाति के नाम पर नही काम के आधार पर vote मिलते है।nitish इस bat के pratyachh udaharad है। इस chunaw ने एक bat तो तय कर दिया की अब bhartiya जनता समझदार हो गई है और यह bhartiya लोकतंत्र के लिए खुशी की bat है। Paswan , lalu ,Mulayam और Maya जिसने भी जाति की राजनीति में जाति का sahara लिया सबको जनता ने बता दिया की अब सिर्फ़ जाति से नही काम चलेगा काम karana पड़ेगा। maya को अब dalito के लिए सिर्फ़ मूर्ति नही काम चाहिए । आख़िर rahul का karnama चला अब देखना होगा इनकी इस mehnat का क्या inam देती है सोनिया जी ।

Wednesday, May 6, 2009

मुलजिम जीवनराम के बहाने...

कमलेश यादव


आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आता है प्लाइवुड का , जिसमे प्लाइवुड की मजबूती को दिखाया जाता है की इतने वर्षो तक वह वैसी की वैसी ही है जितना खरीदने के वक्त थी।इस विज्ञापन को अदालत में एक मुकदमे के बहाने दिखाया जाता है अपराधी और वकील दोनों बूढे हो जाते है किंतु फ़ैसला नही हो पता और मुकदमा चलता ही रहता है। यही सच्चाई हमारे न्याय व्यवस्था का भी है जहा मुकदमे सालो साल चलते ही रहते है । हमारी अदालतों में ५० लाख से भी ज्यादा मुकदमे लंबित पड़े है । यहाँ तक की आतंकवाद और हत्या जैसे गंभीर मामलों के अपराधी जिनको सजा भी मिल चुका है ,उसका भी क्रियान्यवयन नही हो पा रहा है। मुकदमे चलते ही रहते है और आरोपी को जब तक सजा हो पाए उससे पहले ही आरोपी अपनी जीवन-यात्रा पुरी कर चुका होता है। अदालतों में लंबे जीवन काल तक चलते इन मुकदमो का नुकसान तो है ही किंतु कुछ फायदे भी है ,समझदार लोग जो अदालतों की सच्चाई को जानते है वे किसी विवाद में पड़ते भी है तो अदालत तक नही जाते ,कुछ ले दे के वही विवाद को निपटा लेते है और एसे विवादों को निपटने में पुलिस वालो और छुटभैये को विशेष योगदान रहता है। जिससे हमारे जज महोदयो का बोझ थोड़ा कम हो जाता है ,और जो अपराधी होते है वे आराम से अपराध करते है क्योकि वे जानते है की पहले तो कोई उनके खिलाफ अदालत और पुलिस के पास जाएगा नही और अगर गया भी तो केस दर्ज नही होगा और यदि केस दर्ज भी हो गया तो कितनी तारीख तक अदालत जाएगा । अदालत में मुकदमा तो चलता ही रहेगा हमारा काम बाधित नही हो सकता है ,जैसे एक केस के लिए अदालत जाते है वैसे दो-चार और केस होगी तो भी देख लेगे और वह आराम से अपराध पे अपराध करता ही जाता है ...करता ही जाता है । इसका सबूत भी है हमारे पास हमारे नेता जिनपर कई -कई मुकदमे चल रहे है और वे आराम से नेतागिरी कर रहे है । अपराधियों की बदती हुई संख्या भी न्याय प्रक्रिया में धीमापन का ही परिणाम है । अपराधी अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर न्याय व्यवस्था को प्रभावित करते है । करोडो के घोटले करके नेता और अफसर आराम से चुनाव लड़ते है और जनता पर शासन कर रहे है ।