Saturday, April 11, 2009

जरनैल तुने ये क्या किया ?

बुश, जिन्ताओ और अब पी.चिदंबरम जूते के शिकार बने। इसके साथ ही मीडिया जगत में एक बहस छिड गई है । पत्रकारिता के ऊपर ही सवाल उठने लगे। पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जिसे उसकी निष्पक्षता के कारण ही जाना जाता है। पत्रकार को एक सम्मान की नजर से देखा जाता है। उसे कही भी आने जाने की स्वतंत्रता होती है। जब पत्रकार अपने कार्यक्षेत्र में होता है तो वह सिर्फ़ एक पत्रकार होता है और पत्रकार की ना कोई जाति होती है , न कोई धर्म और ना ही कोई क्षेत्रीयता होती है । कुछ लोग अपनी जातीय भावनाओ को नही छोड़ पाते जिनके कारण पूरी मीडिया जगत पर सवाल उठाना सही नही है। जरनैल को यदि सरकार या मंत्रायल से कोई शिकायत थी तो उसे अपनी कलम की ताकत का प्रयोग करना चाहिए था, लेखन के द्वारा विरोध करना चाहिए था । पत्रकार का कम जूता, चप्पल या कोई हथियार चलाना नही है। उसके पास एक सबसे बड़ा हथियार है -कलम । क्या जरनैल के कलम की ताकत इतनी कमजोर हो गई थी की उसे जूते का सहारा लेना पड़ा ?लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माने जाने वाली पत्रकारिता को कलंकित करने वाले लोग लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी नही हो सकते। गृहमंत्री का पद देश के लिए सम्मान का सूचक पद है । उस पद की गरिमा को खंडित करना उचित नही है । चिदंबरम ने भले ही महानता दिखाते हुए पत्रकार को माफ़ कर दिया , पर क्या यह उचित है ?ऐसी मनोवृत्तीयो पर रोक न लगाना इस प्रवृत्ती को बढावा देना है जिसका नया उदाहरण नवीन जिंदल जूता प्रकरण है । अपनी सस्ती लोकप्रियता के लिए लोग ऐसी हरकते करते हैं इस प्रवृति पर रोक लगाया जाना चाहिए ताकि कोई और ऐसी हरकते ना करे । सिख सम्प्रदाय को जगदीश टाईटलर को क्लीनचिट दिए जाने से शिकायत है तो वो रोज धरना-प्रदर्शन कर रहे है । यदि इस पत्रकार को हीरो बनाना था तो उन्ही लोगो के साथ जाकर प्रदर्शन में शामिल होता। पत्रकारिता को तो ना कलंकित करता ।

इन सब के बीच १९८४५ में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगे की याद पुनः ताजा हो गई है। यहाँ तक की गृहमंत्री ने भी मान लिया है की सिखो का गुस्सा जायज है । अब देखना यह होगा कि कोर्ट टाईटलर के मुद्दे पर क्या फ़ैसला करती है? पंजाब में लोगो ने अपना गुस्सा ट्रेन की पटरियों निकला जो एक बेहद शर्मनाक बात है । राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुचना समस्या का समाधान नही है । जरनैल सिंह ने जो किया उसे इतना तूल देने की जरुरत नही है जितना मीडिया दे रही है ।

इन सबके बीच कांग्रेस ने एक कम अच्छा किया की टाईटलर और इस मुद्दे से जुड़े सज्जन कुमार की टिकट कट दी । जिससे कुछ शान्ति जरुर हुई । अब देखना यह होगा की क्या कांग्रेस को इसका लाभ मिल पाता है ?

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