Friday, April 24, 2009

कौन सूध लेता है आजकल गांववालों की ???

दूसरे चरण के मतदान और नक्सल हिंसा के बीच यूपी के देवरिया जिले के गांव डुमरी का एक टोला हतवा आग लगने से पूरी तरह जल कर राख हो गया । अखबारों और चैनलों के साथ-साथ प्रशासन को भी उस गांव की ख़बर लेने की जरुरत नही महसूस नही हुई क्योकि वहा चुनाव हो चुका है । अब किसे उनकी जरुरत है । किसान की पूरी कमाई उसकी खेती और उसका अनाज होता है जिससे पूरे साल उसका जीवन यापन होता है किंतु गांव के किसानो का सारा अनाज आग की भेट चढ़ गया । गर्मी और तेज हवाओ ने कुछ भी नही छोड़ा उन गरीबो के लिए । अनाज, कपड़े और थोड़े बहुत गहने जो ग्रामीण महिलायों की जान होते है, सब कुछ राख में तब्दील हो गया । गांव वालो द्वारा बार- बार पुलिस और फायर ब्रिगेड को फोन करने के पश्चात् भी वे घटना स्थल पर तब पहुचे जब पुरा गांव जल कर राख हो चुका था । मुद्दे की बात करने वाला चैनल जिसे मैंने चार बार फोन किया उसके लिए ५० घरो की बर्बादी, कोई मुद्दा नही बना ।

हमारे देश में सत्यम जैसे घोटाले होने के बाद सहायता के पॅकेज देने में कोई देरी नही की जाती जिसके जिम्मेदार सत्यम जैसी संस्थाओ के लोग ख़ुद होते है। किंतु एक तरफ़ किसान भूखे मरने की राह पर होते है तो भी सरकार सहायता पॅकेज देने तब पहुचती है जब किसान मरने लगते है । दिल्ली जैसे महानगरो में यदि एक शार्ट सर्किट भी हो जाता है तो मीडिया ख़ास कर चैनल इसे ब्रेकिंग न्यूज बना देते है और वही दूसरी तरफ देवरिया जैसी घटनाये जिसमे ना जाने कितने परिवार बर्बाद हो जाते है तो भी इनके लिए कोई न्यूज़ नही बनती , बताने के बाद भी ...सिर्फ़ ग्लैमर और अपराध की घटनाओ को बढ़ा चढ़ा के पेश करना आजकल चैनलों की नियत बन गई है । क्या यही सच्ची पत्रकारिता है जो इतनी बड़ी बर्बादी को अनदेखी कर रही है ?

2 comments:

  1. बहुत ही सटीक विचारणीय अभिव्यक्ति . धन्यवाद.

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