Tuesday, April 21, 2009

पप्पू वोट क्यो नही देता ?

पिछले कुछ वर्षो में पप्पू एक फेवरेट स्लोगन हो गया है । बात चाहे परीक्षा की हो या वोट की पप्पू का नाम जरुर लिया जाता है । आज सिर्फ़ पप्पू का ही नही बल्कि हर वर्ग के लोगो का रुझान वोट डालने और राजनीति के प्रति घटता जा रहा है जो एक चिंताजनक बात है । इसके लिए हर कोई चिंतित नजर आ रहा है चाहे ओ राजनीतिक दल हो या चुनाव आयोग । भारत में जहा चुनाव एक महामेला और महापर्व माना जाता है ,वह ऐसी कौन सी स्थिति आ गई की लोग चुनाव और नेताओ के नाम से भी चिढने लगे है । दरअसल हमारे भारतीय मनमानस में अभी भी गाँधी, जवाहर, बोस जैसे नेताओ का प्रभाव कही न कही बसा हुआ है और हम आज के नेताओ की तुलना उसी पुरानी कसौटी पर करते है जिस पर हमारे वर्तमान नेता कही नही ठहरते है । पिछले कुछ वर्षो में राजनीति में अपराधियो की लगातार बढ रही जमात भी युवा मनो को खिन्न किया है । एक महत्वपूर्ण बात यह है की आज का युवा भी कही न कही सामाजिक तथा राजनीतिक चुनौतियों को स्वीकार करने से पीछे हटने लगे है ।आज का युवा आत्मकेंद्रित हो गया है । उसे लगता है कोई आएगा और सब कुछ बदल जाएगा या जो कुछ चल रहा है चलने दो हमें क्या फर्क पड़ता है । आज का युवा अपने कैरियर को अधिक प्राथिमिकता देता है न की देश की समस्याओ पर । युवा वर्ग ख़ुद आगे bad कर चुनौती नही स्वीकार करना चाहता और यदि वह आगे आना भी चाहता है तो राजनीतिक पार्टिया टिकट देने में इतनी देर कर देती है की युवा निराश हो कर राजनीति छोड़ देता है या टिकट की आस में बुड्डा हो जाता जो । राजनीति में बढता वंशवाद भी युवाओ को राजनीति से मुह मोड़ने में योगदान कर रहा है । जयप्रकाश नारायण ,लोहिया या अन्य युवा नेता जो राजनीति में आए ,उन्होंने ख़ुद आगे बढ कर नेतृत्व अपने हाथो में लिया और देश की राजनीति में क्रन्तिकारी बदलाव लाये । आज युवाओ में उसी दृढ़ इच्छाशक्ति की जरुरत है । परिवर्तन समस्या से लड़ने और जूझने से होगा न की मुह मोड़ने से । पिछले दिनों जैसे संसद में हुए वोट के बदले नोट जैसी घटनाये संसद की कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण होने के कारन मतदाताओ को सीधे देखने को मिली और जब मतदाता अपने चुने गए नेतो को संसद में कुर्सिया तोड़ते और लड़ते हुए देखते है तो उन्हें राजनीति से निराशा होती है । नेतो और अधिकारियो के गठजोड़ के कारन बड़ते भ्रष्टाचार और आए दी टीवी और अखबार में आते इनके स्कैंडल यहाँ तक की संसद में प्रश्न पूछे जाने तक के लिए पैसे लेते नेता आम मतदाता को नीरस कर रहे है । आशा है इस बार पप्पू इन नेताओ को सबक जरुर सिखायेंगे और वोट देने जरुर जायेगे ।

1 comment:

  1. वोट तो डालते हैं पर उस का कोई फायदा नही होता। मतदाता जिस के खिलाफ अपना मत प्रयोग करता है ये नेता उसी से सत्ता पानें की लालसा में गठबंधन जोड़ लेता है। ऐसे मे मतदाता क्या करेगा??

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