Monday, April 6, 2009

आख़िर कब तक चलेगा अपराधियो का बोलबाला

कमलेश यादव
भारतीय राजनीति में अपराधियो की लगातार बढोत्तरी हो रही है और सभी राजनीतिक दल इन्हे पुरे आदर और सम्मान के साथ अपने दल में शामिल कर रहे है। जो एक बेहद चिंताजनक बात है । चौदहवी लोकसभा में कुल ५४३ में से १२० सांसदों पर कुल ३३३ मुकदमे चल रहे है । कुछ दिनों पहले तक विशेष रूप से समाजवादी पार्टी को अपराधियो का पनाहगार मन जाता था किंतु आज कोई भी पार्टी दूध की धूलि हुई नही है । सपा के ११ सांसदों पर कुल ८० मुकदमे , भाजपा के २९ ,बसपा और सीपीआई (माले) के ७-७ सांसदों , एनसीपी के ५ , आरजेडी के ८ और सीपीआई के २ सांसदों पर हत्या ,लूट और किडनैपिंग जैसे गंभीर मुकदमे चल रहे है । ये तो वह आकडे है जो सामने आ गए। ना जाने कितने मामले सामने ही नही आ पाए है। बसपा , सपा , भाजपा ,कांग्रेस या राजद कोई भी हो पार्टी चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या क्षेत्रीय दल सभी अपराधियो के दम पर अपनी सीटे बढाना चाहते है। युपी और बिहार में तो राजनीति में जाने का शार्टकट बन गया है -अपराध।
अभी हाल ही में सीवान के सांसद शहाबुद्दीन के चुनाव ना लड़ पाने के कारण लालू ने उनकी पत्नी हीना शहाबुद्दीन को सीवान से उम्मीदवार बनाया और ख़ुद जाकर उनका नामांकन कराया। यही हाल पप्पू यादव और सूरजभान की पत्नी का है; अगर ये अपराधी ख़ुद चुनाव नही लड़ पाए तो इनकी पत्त्निया मैदान में कूद पड़ी । लालू जी ने एक नया रास्ता सूझा दिया है अब चुनाव आयोग इनका क्या कर पायेगा ? भाजपा ने यूपी की पूर्व आईएएस नीरा यादव, जिन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हुए है ,को भाजपा में शामिल कर के सरकारी भ्रस्त आफसरो को राजनीति में आने का रास्ता दिखा दिया है । एक तरफ़ जहा एक आम भारतीय पर यदि एक भी मुकदमा लग जाए तो उसे चतुर्थ वर्ग की भी सरकारी नौकरी नही मिल पाती वही दर्जनों मुकदमो के आरोपी देश की सबसे बड़ी संस्था चलने के योग्य करार कर दिए जाते है और हम इन्हे ही चुन के भेज भी देते है । चाहे ये अपराधी ख़ुद चुनाव मैदान में उतरे या इनके रिश्तेदार सत्ता तो इनके हाथ में ही होती है । पार्टिया अपनी संख्या बढाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है चाहे देश में आराजकता हो या किसी की भी गुंडागर्दी चले या लोग भूखे मरे उन्हें इससे कोई फर्क नही पड़ता । इन्हे तो सिर्फ़ सत्ता चाहिए ।
दरअसल इन अपराधियो का मनोबल इसलिए और बढता जा रहा है क्योकि ये अपने दबदबे के कारन चुनाव जीत जाते है । चुनाव आयोग मतदान केन्द्र पर तो सुरक्षा देता है किंतु वह आयोग क्या करेगा जहा मतदाताओ को इन मफ़िआओ के गुंडों द्वारा मतदाता को उनके घर पर ही रोक दिया जाता है । मातदाता मतदान केन्द्र तक पहुच ही नही पाता । क्योकि उसे ये डर होता है की आज यदि खिलाफ में वोट कर भी दिया तो कल क्या होगा जब सुरक्षा नही होगी ? पानी में रहकर मगर से बैर कैसे होगा ? जो थोरे से युवा विरोध करते है उन्हें या तो खरीद लिया जाता है या अपने साथ मिला लिया जाता है और शराब के नशे में मस्त कर दिया जाता है । आयोग के समक्ष और मतदाताओ के समक्ष यह एक बड़ी चुनौती है इसे स्वीकार करे और इन अपराधियो को सत्ता से दूर रखे इसी में देश की भलाई है ।

1 comment:

  1. jab tak aap Bharat Desh ki bagdor nahi sambhal lete tab tak to chalega hi....

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